घन
गणित और ज्यामिति के क्षेत्र में घन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए सभी छात्रों के लिए घन की परिभाषा और अवधारणा समझना आवश्यक है। घन की अवधारणा हमारे दैनिक जीवन में भी मौजूद होती है, जैसे कि इमारतें, किताबें, इत्यादि।
इसलिए आज के इस लेख में हम घन की परिभाषा को विस्तार से समझेंगे। साथ ही हम घन का सूत्र, घन और घनाभ में अंतर इत्यादि चीजों को भी समझेंगे। चलिये लेख शुरु करते है।
घन की परिभाषा
घन एक त्रि-आयामी आकार होता है जिसकी लंबाई चौड़ाई और ऊंचाई बराबर होती है। आसान शब्दों में कहें तो घन के छह समान आकार के फलक होते हैं। यह फलक वर्ग की तरह दिखते हैं।
घन के प्रत्येक फलक में तीन किनारे एक शीर्ष पर जाकर मिलते हैं। अगर हम आसान शब्दों में समझे तो वर्ग का थ्री डाइमेंशनल आकृति ही घन कहलाती है।
हमारे आसपास घन के उदाहरण कई सारे देखने को मिल जाते हैं जैसे – आप जिस कमरे में बैठे हैं वह एक घन के आकार का कमरा है।
घन की आकृति
तो जैसा कि हमने जाना घन एक ऐसा डिब्बा होता है, जिसकी हर तरफ की लंबाई चौड़ाई और ऊंचाई बराबर होती है।
घन के इस डिब्बे में 8 कोने होते हैं जिन्हें हम सिर या शीर्ष कहते हैं। साथ ही इसके 12 किनारे होते हैं। जैसा की आप दिए गए घन की चित्र में देख सकते हैं।
दिए गए चित्र में आप इस घन का किनारा फलक और तेरा देख सकते हैं जहां L लंबाई को, B चौड़ाई को और H ऊंचाई को दर्शाता है।
चित्र में घन की लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई एक ही बिंदु पर मिल रही है जिसे हम सिरा कहेंगे।
घन के गुण (Properties of Cube)
घन के कुछ महत्वपूर्ण गुणों में शामिल हैं:
- सभी फलक एक दूसरे के समांतर होते हैं।
- सभी कोण समकोण (right angles) होते हैं, यानी 90 डिग्री के कोण होते हैं।
- प्रत्येक फलक में चार भुजाएँ होती हैं, और सभी भुजाएँ लंबाई में समान होती हैं।
- सम्मुख फलक एक दूसरे के सर्वांगसम (congruent) होते हैं।
- विपरीत फलक भी एक दूसरे के सर्वांगसम होते हैं।
घन का सूत्र क्या होता है?
घन एक त्रिआयामी यानी Three-dimancial आकार का होता है इसलिए घन की माप निकालने के लिए दो महत्वपूर्ण चीजों का इस्तेमाल किया जाता है जिसे घन का पृष्ठीय क्षेत्रफल और घन का आयतन कहते हैं।
इसलिए यहां पर घन के दो प्रमुख सूत्र हैं, जो कि इस प्रकार है
घन का पृष्ठीय क्षेत्रफल
घन के पृष्ठीय क्षेत्रफल वह होता है जो घन के बाहरी सभी फलको को मापता है। इस प्रकार घन का पृष्ठीय क्षेत्रफल निकालने के लिए नीचे दिए गए फार्मूले का इस्तेमाल किया जाता है।
घन का पृष्ठीय क्षेत्रफल उसके छह समान वर्गों के क्षेत्रफलों का योग होता है।
सूत्र:
पृष्ठीय क्षेत्रफल = 6 * भुजा का वर्ग
Surface Area of Cube = 6a2 in a square units
उदाहरण:
उसी 5 cm भुजा वाले घन का पृष्ठीय क्षेत्रफल क्या होगा?
पृष्ठीय क्षेत्रफल = 6 * (5 cm)² = 6 * 25 cm² = 150 वर्ग सेंटीमीटर (cm²)
घन का आयतन
घन का आयतन की मदद से यह देखा जाता है कि घन के अंदर कितनी जगह है और इसमें कितना ज्यादा द्रव समा सकता है। यानी कि किसी डिब्बे के अंदर की जगह को मापने के लिए घन का आयतन सूत्र का उपयोग किया जाता है।
घन का आयतन निकालने के लिए नीचे दिए गए फार्मूला का इस्तेमाल कर सकते हैं।
घन का आयतन उसकी भुजा की लंबाई (a) के घन के बराबर होता है।
सूत्र:
आयतन = भुजा का घन
Volume of cube = a3 cubic units
उदाहरण:
मान लीजिए कि एक घन की भुजा 5 सेंटीमीटर (cm) है। इसका आयतन क्या होगा?
आयतन = 5 cm³ = 125 घन सेंटीमीटर (cm³)
घन का जाल (Cube Net)
घन का जाल एक Two- Dimancial यानी द्वि-आयामी नक्शा होता है। इसे देखकर आप यह अंदाजा लगा सकते हैं कि आखिर गण कैसा दिखता होगा।
घन का जाल में घन के छह फलकों को एक कागज पर ऐसा दिखाया जाता है कि जिन्हें काटकर मोड जा सके। और जब उसे कागज को मोड़ देते हैं तो वह थ्री डाइमेंशनल घन के आकार वाला डब्बा बन जाता है। घन के जाल के माध्यम से आप आसानी से घन के सभी फलकों को देख सकते हैं और इसके किनारो के बारे में समझ सकते हैं।
नीचे दिए गए घन का जाल चित्र के माध्यम से इसे आप आसानी से समझ सकेंगे। अगर आप समझना चाहते हैं कि घन कैसे बनाएं तो इसके लिए घन का जाल आपके काम आता है।
घन के कुछ अन्य महत्वपूर्ण सूत्र
1. पृष्ठीय क्षेत्रफल (TSA – Total Surface Area):
- यह घन के सभी छहों समान वर्गों के क्षेत्रफलों को जोड़कर निकाला जाता है।
- सूत्र: पृष्ठीय क्षेत्रफल = 6a² (जहाँ a भुजा की लंबाई है)
2. आयतन (Volume):
- यह घन की सभी तीनों दिशाओं (लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई) में एक जैसी दूरी को घन के रूप में दर्शाता है।
- सूत्र: आयतन = a³ (जहाँ a भुजा की लंबाई है)
3. पार्श्व पृष्ठीय क्षेत्रफल (LSA – Lateral Surface Area):
- यह घन के शीर्ष और तल को छोड़कर बाकी चारों तरफ के फलकों का कुल क्षेत्रफल होता है।
- सूत्र: पार्श्व क्षेत्रफल = 4a² (जहाँ a भुजा की लंबाई है)
4. विकर्ण (Diagonal):
- घन के एक फलक के एक कोने से विपरीत फलक के विपरीत कोने को जोड़ने वाली रेखा को अंदर का विकर्ण कहते हैं।
- सूत्र: विकर्ण = a√2 (जहाँ a भुजा की लंबाई है)
5. मुख्य विकर्ण (Main Diagonal):
- घन के एक कोने से विपरीत कोने को जोड़ने वाली रेखा को मुख्य विकर्ण कहते हैं।
- सूत्र: मुख्य विकर्ण = a√3 (जहाँ a भुजा की लंबाई है)
घन और घनाभ में अंतर
अक्सर छात्रों को घन और घनाभ में कन्फ्यूजन होता है, क्योंकि यह दोनों लगभग एक जैसे ही दिखते हैं। लेकिन इनमें कुछ अंतर है, जो कि इस प्रकार है।
मापदंड | घन (Cube) | घनाभ (Cuboid) |
फलक (Faces) | 6 वर्गाकार फलक (सभी सर्वांगसम) | 6 फलक (आवश्यक नहीं कि वर्गाकार हों, हो सकता है आयताकार भी हों और सभी सर्वांगसम नहीं हो सकते) |
किनारे (Edges) | 12 किनारे (सभी समान लंबाई के) | 12 किनारे (आवश्यक नहीं कि समान लंबाई के हों) |
कोने (Vertices) | 8 कोने (सभी समकोण पर मिलते हैं) | 8 कोने |
विकर्ण (Diagonals) | सभी अंतर्निहित विकर्ण समान लंबाई के होते हैं (√3a) | अंतर्निहित विकर्ण समान लंबाई के नहीं होते |
समरूपता (Symmetry) | अष्टफलकीय या घनाकार समरूपता | समरूपता कम हो सकती है (आधार पर निर्भर करता है) |
आयतन सूत्र | a³ | a × b × c (जहाँ a, b और c लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई हैं) |
पृष्ठीय क्षेत्रफल सूत्र | 6a² | 2(ab + bc + ca) |
निष्कर्ष
आज के इस लेख में हमने जाना की घन किसे कहते हैं। जिसमें हमने घन की परिभाषा घन का सूत्र और घन के बनाने के तरीके के बारे में जाना। उम्मीद है कि यह लेख आपको घन की अवधारणा समझने में मदद करेगा। यदि आपको यह ले ख उपयोगी लगा हो तो इसे अन्य दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करें।